*INDIA CRIME न्यूज ऊर्जा निगमों पर लग रहे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करें सीएम धामीः विकेश नेगी*

Share Button

*INDIA CRIME न्यूज ऊर्जा निगमों पर लग रहे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करें सीएम धामीः विकेश नेगी*

*ऊर्जा निगमों में ब्याप्त भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर हाईकार्ट में जनहित याचिका दाखिल करेंगें*

देहरादून। केदारनाथ उपचुनाव में मतदान 20 नवम्बर को होना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए यह उपचुनाव साख का सवाल बना हुआ है, लेकिन उनके ऊर्जा विभाग में घमासान मचा हुआ है। यूपीसीएल के एमडी अनिल यादव को सेवा विस्तार का मामला तूल पकड़ चुका है और यूजेवीएनएल के एमडी संदीप सिंघल का सेवा विस्तार भी विवादों में है। सेवानिवृत्त होने के बाद कई अधिकारियों को दोकृ दो वर्ष का सेवा विस्तार दे दिया है जिसमें अनिल कुमार यादव, एमडी यूपीसीएल, सुरेन्द्र चंद्र बलूनी, डायरेक्टर प्रोजेक्ट यूजेवीएनएन और संदीप सिंघल एमडी यूजेवीएनएन आदि सम्मिलित हैं। ऊर्जा विभाग के यूजेवीएनएल में 2001, 2003 एवं 2003 में जूनियर इंजीनियर एवं सहायक अभियंता के पदों पर नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्त पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बीच अब पिटकुल एमडी पीसी ध्यानी को लेकर भी विभाग का एक सीनियर इंजीनियर प्रवीण टंडन हाईकोर्ट चला गया है। यह इंजीनियर निलंबित है और कोर्ट की अवमानना के चलते उसके खिलाफ नॉन बेलेवल वारंट जारी हुआ है। तमाम आरटीआई एक्टिविस्ट और नेता ऊर्जा निगम में कार्यरत कई अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने सीएम धामी से सवाल किया है कि ऊर्जा निगमों में आखिर चल क्या रहा है? भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार का दावा करने वाली धामी सरकार ऊर्जा निगमों में भ्रष्टाचार को लेकर हो रहे खुलासों और नुरा कुश्ती के मामले पर चुप क्यों है।

एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा कि तीनों ऊर्जा निगमों में आरटीआई से जो एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं और आये दिन जो मीडिया में नेताओं और समाजसेवी लोगों के बयान आ रहे हैं उसे देखकर लगता है कि ऊर्जा निगमों में भ्रष्टाचारी इंजीनियर और अफसरों की मौज है, ईमानदारी से काम करने वाले अफसरों के लिए काम करना मुश्किल हो रहा है।  उन्होंने सवाल किया कि यूपीसीएल के एमडी अनिल यादव को किस श्रेणी और किस आधार पर सेवा विस्तार दिया गया है। सेवा नियमावली में इस तरह दो साल का सेवा विस्तार देना क्या न्यायोचित है..? क्या इससे अन्य काबिल अफसरों को न्याय मिल सकता है…? क्या इससे भ्रष्टाचार और चाटुकारिता को बढ़ावा नहीं मिलेगा…? एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा कि पिटकुल में 26 करोड़ के टेंडर घोटाले की जांच क्यों नहीं हुई? पटेल नगर थाना पुलिस ने इस संबंध में केस दर्ज किया था तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई..?

एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा समाचार पत्रों के माध्यम से उनकी जानकारी में आया है कि पिटकुल के महा प्रबन्धक (विधि)  प्रवीन टण्डन ने पिटकुल के प्रभारी प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी को हटाने की मांग को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई चल रही है। राज्य सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश कोर्ट ने दिये हैं। विकेश नेगी ने कहा कि उनकी जानकारी में आया है कि पिटकुल में प्रवीन टण्डन को महाप्रबन्धक (विधि) 07 जून 2023 को निलम्बित कर दिया गया था। पद पर कार्यरत रहते हुए उनके द्वारा वैधानिक कार्य दायित्वों के निर्वहन में बरती गयी लापरवाही, कार्यों के प्रति उदासीनता, गम्भीर दुराचार, व्यापक अनुशासनहीनता, कारपोरेशन को आर्थिक क्षति की आशंका के दृष्टिगत निलम्बित किया गया था।

एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा उनके स्थान पर एक अन्य अफसर की तैनाती कर दी गयी थी लेकिन टंडन ने न तो आलमारी की चाबी ही उनको दी और दस्तावेज उपलब्ध कराए। इस मामले में एक समिति का भी गठन किया गया था लेकिन उन्होंने समिति को भी चाबियां नहीं दी। इस मामले में उन पर विधिक कार्रवाई गतिमान है। आखिर ये चल क्या रहा है। पूरी सच्चाई जनता के सामने आनी चाहिए। विकेश नेगी ने कहा कहीं ऐसा तो नहीं कि दबाव बनाने के लिए प्रवीण टंडन ने पिटकुल के प्रभारी प्रबंध निदेशक के खिलाफ हाईकोर्ट में शरण ली है। सरकार को जांच करा कर सच सामने लाना चाहिए। विकेश नेगी ने कहा तीनों ऊर्जा निगम मुख्यमंत्री धामी के पास हैं और इनकी अध्यक्ष मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और सचिव मीनाक्षी सुंदरम हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने कहा है कि मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह ऊर्जा निगमों पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करें। उन्होंने कहा कई अधिकारियों पर आय से अधिक संपत्ति के गंभीर आरोप लग रहे हैं ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों और इंजीनियरों के खिलाफ बिजीलेंस जांच कराकर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। सरकार छोटे-छोटे मामलों की तो बिजेंलेंस जांच करा देती है लेकिन इतने बड़े मामले बिजेंलेंस को क्यों नहीं दिये जा रहे हैं। उर्जा निगम में ब्याप्त भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर वह जल्द नैनीताल हाईकार्ट में जनहित याचिका दाखिल करेंगे।

*भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड का दावा हवा-हवाई*
राज्य सरकार का भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है। सरकार लोकायुक्त के गठन को लेकर गंभीर नहीं है।  आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी के मुताबिक प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर कड़े प्रहार का दावा करती है लेकिन बड़े नेताओं और अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है। उनका कहना है कि लोकायुक्त के गठन से प्रदेश में भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश लगने की संभावना है। लेकिन पक्ष-विपक्ष दोनों ही लोकायुक्त का चयन टाल रहे हैं। उन्होंने सरकार से तुरंत लोकायुक्त नियुक्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह इस मुद्दे पर नई जनहित याचिका दायर करेंगे। हाईकोर्ट के आदेशों पर अमल न करने के लिए सरकार अवमानना की दोषी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *