*INDIA CRIME NEWS जिसके मन में संतोष होता है वह दरिद्र नहीं कहा जाताः पवन कृष्ण शास्त्री*

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*INDIA CRIME NEWS जिसके मन में संतोष होता है वह दरिद्र नहीं कहा जाताः पवन कृष्ण शास्त्री*

देहरादून। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में महादेव विहार निरंजनपुर मंडी चौक देहरादून में पंवार परिवार में पितृ मोक्ष के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन चल रहा है जिसमें सप्तम दिवस देवभूमि हरिद्वार से आए हुए कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री जी बताया जिसके मन में संतोष होता है वह दरिद्र नहीं कहा जाता दरिद्र वह कहलाया जाता है जिसके मन में कभी संतोष नहीं रहता जो संतोषी होता है सुदामा जी परम संतोषी ब्राह्मण थे हमेशा भगवान का धन्यवाद कहते थे इसलिए सुदामा जी को दरिद्र कह कर के जो पुकारता है वह बहुत बड़ा पाप कम आता है सप्तम दिवस कथा श्रवण कराते हुए शास्त्री जी ने सुदामा जी का चरित्र श्रवण कराया शास्त्री जी ने कहा कृष्ण और सुदामा की मित्रता उस समय हुई जब बाल्यकाल में दोनों संदीपनी मुनि के गुरुकुल में विद्या अध्ययन किया करते थे विद्या अध्ययन के बाद दोनों अपने अपने घरों को चले गए समय बलवान होता है कृष्ण द्वारिकापुरी के राजा द्वारिकाधीश बन गए परंतु सुदामा जी की स्थिति बहुत ही दयनीय थी सुदामा जी अपनी पत्नी सुशीला एवं दो बच्चों के साथ झोपड़ी में निवास करते स्थित इस प्रकार की थी ना खाने के लिए न पहनने के लिए ना उड़ने के लिए ना बिछाने के लिए कुछ भी नहीं था परंतु भगवान से कभी कुछ नहीं मानते हमेशा भगवान श्री कृष्ण की मित्रता को याद करते एवं हमेशा श्री कृष्ण की भक्ति किया करते परंतु कभी भी श्रीकृष्ण से किसी भी चीज की याचना नहीं करते एक बार पत्नी के कहने पर सुदामा जी एक पोटली में कृष्ण को देने के लिए दश मुट्ठी चावल लेकर श्री कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिकापुरी पहुंचे श्री कृष्ण ने द्वारिकापुरी में सुदामा जी का बहुत ही आदर सत्कार किया श्री कृष्ण जानते थे सुदामा मुझसे कभी कुछ नहीं मांगेंगे परंतु आज बिना मांगे ही श्री कृष्ण ने सुदामा के द्वारा लाए गए चावलों  में से जब एक मुट्ठी चावल अपने मुख्य में डाला ऊपर के सातों लोक सुदामा के नाम कर दिए और दूसरी मुट्ठी में नीचे के सातों लोक सुदामा के नाम कर दिए सुदामा जी जब द्वारिकापुरी से लौट कर के अपने गांव पहुंचे तब सुदामा जी को बड़ा आश्चर्य हुआ झोपड़ी की जगह महलों को देखकर सुदामा जी कहते हैं  ष् फैलाई जिसने झोली तेरे दरबार में आकर एक बार, तुझे देता नहीं देखा मगर झोली भरी देखी ष् शास्त्री जी ने बताया भगवान अपने भक्तों को अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं आज जो भी भगवान की भक्ति करते हैं भगवान की कृपा से उनके पास किसी भी चीज की कमी नहीं रहती है अपने भक्तों को सब कुछ दे देते हैं इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को भगवान की भक्ति निष्काम भाव के साथ करनी चाहिए एवं मन में संतोष धारण करना चाहिए सप्तम दिवस की कथा में सभी भक्तों ने मिलकर भगवान श्री कृष्ण की झांकियों के साथ फूलों की होली का भी आनंद लिया इस अवसर पर मुख्य जजमान सुनीता पंवार, डॉक्टर सुगंधा पंवार, सिद्धांत पंवार,अपूर्व पंवार,पूनम पंवार,संगीता पंडित,दामिनी पाल,अरुण गोयल, तोषी तोमर,बोबी कुमार,ममता गोयल,अरुण गोयल,पंडित मोहन जोशी, पंडित मुकेश बोखंडी आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।

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