*INDIA CRIME NEWS हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के पीपीपी मोड पर संचालन को लेकर छात्रों में उबाल,नगर निगम चुनाव में मुद्दा बनाकर भुनाने में जुटी कांग्रेस*

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*INDIA CRIME NEWS हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के पीपीपी मोड पर संचालन को लेकर छात्रों में उबाल,नगर निगम चुनाव में मुद्दा बनाकर भुनाने में जुटी कांग्रेस*

हरिद्वार। राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार को पीपीपी मोड पर संचालित करने से जुड़ा एक पत्र सामने आने के बाद छात्रों में उबाल देखने को मिल रहा है। इसी कड़ी में छात्रों ने कॉलेज को निजी हाथों में सौंपे जाने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया, जिससे मामला गरमा गया है। इधर, स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने मामले में स्थिति स्पष्ट की है तो उधर निकाय चुनाव सिर पर हैं तो कांग्रेस भी इस मुद्दे को भुनाने में जुट गई है।

दरअसल, करीब 640 करोड़ की लागत से हरिद्वार नगर निगम की जमीन पर जगजीतपुर में राजकीय मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही कॉलेज में एमबीबीएस का पहला बैच भी चल रहा है, लेकिन इसी बीच चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग का एक पत्र सामने आया है। इसमें हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर संचालित करने की बात कही गई है। इतना ही नहीं ई-निविदा के तहत वित्तीय बिड में सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले एक संस्थान को देने की बात भी लिखी गई है। ऐसे में हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को निजी हाथों में सौंपने का विरोध शुरू हो गया है। आज मामले को लेकर मेडिकल के छात्र खुलकर विरोध में उतर आए। उन्होंने तालाबंदी कर विरोध प्रदर्शन किया।

छात्रों का आरोप है कि जब उन्हें इस कॉलेज में एडमिशन दिया गया था, तब उन्हें कहा गया था कि वो एक राजकीय मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने परीक्षा भी दी है, तब जाकर उनका यहां पर प्रवेश हो पाया। उनका कहना है कि अब कॉलेज को पीपीपी मोड में दिए जाने की बात सामने आ रही है।

छात्रों का साफ कहना है कि अगर राजकीय मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड में संचालित किया जाता है, तो उनके ऊपर भी एक प्राइवेट कॉलेज का टैग लग जाएगा। उनका कहना है कि वो मामले को लेकर विरोध करते रहेंगे। वो किसी भी सूरत में कॉलेज को पीपीपी मोड पर नहीं जाने देंगे। नगर निगम चुनाव के बीच सामने आए इस आदेश को लेकर राजनीति भी गरमा गई है। इस आदेश को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। विपक्ष का आरोप है कि इस फैसले से गरीबों और वंचितों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और भी मुश्किल हो जाएगी। कांग्रेस नेता अमन गर्ग ने इसे गरीबों और युवाओं के साथ धोखा बताया। साथ ही सरकार पर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेज के लिए मुफ्त में जमीन दी गई, लेकिन अब ऐसा करना जनता के विश्वास का मजाक है। वो मामले को जनता के बीच लेकर जाएंगे। हरिद्वार की पूर्व महापौर अनीता शर्मा ने इस कदम को शर्मनाक और हितों के खिलाफ बताया। साथ ही कहा कि यह हरिद्वार के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा। फिलहाल, मामले को लेकर सियासत जारी है। जबकि, छात्र असमंजस की स्थिति में है। उधर, मामले में स्वास्थ्य सचिव ने स्थिति स्पष्ट की है।
स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने बताया कि कुछ लोगों की ओर से छात्रों को गलत जानकारी दी जा रही रही है। अगर बात हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर चलाने की करें, तो इसकी प्रक्रिया कई महीने पहले ही शुरू की जा चुकी थी। जो छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके बातचीत कर ली गई है। उनका कहना है कि छात्रों को लग रहा है कि उन्हें प्राइवेट कॉलेज के अनुसार फीस देनी पड़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं है। इस बैच यानी मौजूदा समय में जो छात्र एडमिशन ले चुके हैं या अध्ययनरत हैं, उन्हें सरकारी नॉम्स के अनुसार ही फीस देनी होगी। इतना ही नहीं मेडिकल कॉलेज का नाम राजकीय मेडिकल कॉलेज ही होगा। हालांकि, स्वास्थ्य सचिव ने किसी भी तरह के राजनीतिक विरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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