*INDIA CRIME NEWS चारधाम यात्रा पर आ रहे यात्रियों को खूब भा रहा स्थानीय उत्पादों से बना खाना*
*बुरांश एवं माल्टे का जूस यात्रियों के बीच आकर्षण का केन्द्र
हर जगह यात्रियों को परोसा जा रहा है कम तेल, चीनी एवं नमक वाला खाना*
*यात्री कर रहे उत्तराखण्ड के खाने की तारीफ*
देहरादून। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर आ रहे तीर्थ यात्रियों के स्वास्थ्य का इस बार विशेष ख्याल रहा है। भक्तों को कम तेल, चीनी और नमक वाला खाना परोसने के साथ ही स्थानीय पकवान एवं उत्पाद भी परोसे जा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर चारधाम यात्रा पर आ रहे श्रद्वालुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए फूड सेफ्टी एंड स्टेंर्डस् एथॉरिटी एफएसएसएआई के साथ मिलकर विशेष अभियान लांच किया गया है। चारधाम यात्रा पर आ रहे भक्त सरकार एवं स्थानीय प्रशासन की इस पहल से बेहद खुश नजर आ रहे हैं।
दरसअल, स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उददेश्य से प्रशासन की ओर से बद्रीनाथ, केदारनाथ हाईवे और केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग के किनारे जगह उपस्थित कराई गई है। स्थानीय लोग इन स्थानों पर ढ़ाबा खोलकर रोजगार कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन ढ़ाबों के अलावा अन्य होटलों में भी स्थानीय पकवान एवं उत्पाद भक्तों को भरोसे जा रहे हैं। जिसका भक्त लाभ ले रहे हैं और उन्हे पहाड़ के उत्पाद काफी पसंद भी आ रहे हैं। इस बार यह भी पहल की गई है कि चारधाम यात्रा पर आ रहे यात्री स्वस्थ रहे हैं और अच्छा खाना खाए। इसके लिये राज्य सरकार की पहल पर कम तेल, चीनी व नमक वाला खाना यात्रियों को परोसा जा रहा है।
जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में जवाड़ी बाईपास मोटरमार्ग पर कालापहाड़ एवं जवाड़ी के ग्रामीण ढ़ाबे खोलकर रोजगार कर रहे हैं। यहां पर बुरांश, माल्टा, आवंला आदि के जूस के साथ ही भक्तों को मंडवा, झंगोरा से बने हुये पकवान परोसे जा रहे हैं। साथ ही स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाली दाले भी यात्रियों को खूब भा रही हैं। यात्री पहाड़ी उत्पादों से बने खाने को अत्यधिक पोष्टिक बता रहे हैं। देश-विदेश से यात्रा पर पहुंचे भक्तों ने भी अपने अनुभव साझा किये। गुजरात से यात्रा पर पहुंची फोरम ने कहा कि चारधाम यात्रा के लिए देश विदेश से पहुंच रहे श्रद्वालुओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा यह प्रयास सराहनीय है। कम नमक, चीनी और तेल स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है। जिसको चढ़ाई चढ़कर यात्रा पर जाना है, उसके लिये तो यह खाना बेहद ही जरूरी है।
दिल्ली से श्री केदारनाथ धाम यात्रा पर पहुंचे वरूण ने बताया कि उन्होंने यहां के स्थानीय उत्पाद बुरांश के जूस का सेवन किया। यह जूस मैंने पहली बार पिया, स्थानीय लोगों ने बताया कि यह हृदय के लिए बहुत अच्छा होता है। मैं अपने परिवार के लिए भी यह जूस लेकर जा रहा हूं। स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने एवं यात्रा पर आ रहे लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा चलाया जा रहा अभियान सराहनीय है।
*जगह-जगह हिलांस एवं आंचल कैफे का संचालन*
यात्रा मार्ग पर जगह-जगह हिलांस एवं आंचल कैफे का भी संचालन हो रहा है। इन कैफे का संचालन स्थानीय लोगों की ओर से किया जा रह है। यहां भी यात्रियों को स्थानीय उत्पादों से बने पकवान परोसे जा रहे हैं। आंचफ कैफे में तो स्थानीय स्तर पर तैयार लस्सी, दूध, छांछ एवं आईस्क्रीम यात्रियांे को दी जा रही है। गबनी गांव, भीरी, सोनप्रयाग, गुप्तकाशी, खांखरा, तिलवाड़ा सहित अन्य कई स्थानों पर हिलांस एवं आंचल कैफे का संचालन किया जा रहा है। जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग डॉ सौरभ गहरवार ने कहा कि प्रत्येक वर्ष की यात्रा में स्थानीय लोगों के रोजगार को भी ध्यान में रखा जाता है। जवाड़ी बाईपास सहित बद्रीनाथ, केदारनाथ हाईवे एवं केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर स्थानीय लोगों को स्थाई एवं अस्थाई दुकानों का आवंटन किया जाता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंउ के स्थानीय उत्पादों से बने पकवान यात्रियों को खूब भा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी होटल, लॉजों एवं ढ़ाबों सहित अन्य दुकानों पर स्थानीय स्तर पर तैयार बुरांश, माल्टा एवं आंवले के जूस के साथ ही अचार को यात्रियों को सर्व किया जा रहा है। उन्होंने यहा भी बताया कि यात्रियो के विश्राम करने के लिये जगह-जगह व्यू प्वाइंट भी बनाये गये हैं।