*INDIA CRIME NEWS 11 हजार फीट की ऊंचाई से घायल बालिका को किया एयरलिफ्ट,गौंडार के जंगलों में घास लेने गई 21 वर्षीय प्रीती का फिसला पैर*
*ग्रामीणों ने डंडी के सहारे पहुंचाया रांसी हेलीपैड*
*चट्टान से गिरने के कारण सिर और हड्डियों में आई गंभीर चोटें*
*जिला पंचायत सदस्य ने जताया डीएम सौरभ गहरवार का आभार*
रुद्रप्रयाग। मदमहेश्वर घाटी की सीमांत ग्राम पंचायत गौंडार के जंगलों में घास काटते समय 21 वर्षीय लड़की का पैर फिसल गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा की ओर से सूचना जिलाधिकारी डॉ सौरभ गहरवार को दी गई। सूचना का तत्काल संज्ञान लेते हुए डीएम ने जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नन्दन सिंह रजवार को घायल बालिका को एयरलिफ्ट करने के निर्देश दिए। एयरलिफ्ट कर बालिका को ऋषिकेश एम्स पहुंचाया गया, जहां अब उसकी स्थिति को खतरे से बाहर बताया जा रहा है।
गौंडार के जंगलों में घास काटने गई 21 वर्षीय प्रीती पुत्री बलवीर सिंह का पांव फिसल गया, जिससे वह चट्टान से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई। ग्राम प्रधान गौंडार बीर सिंह पंवार ने इसकी सूचना जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा को दी। राणा की ओर से सूचना तत्काल डीएम सौरभ गहरवार को दी गई और एयर एंबुलेंस की मांग की गई। स्थिति को समझते हुए डीएम की ओर से जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी को घायल बालिका को एयरलिफ्ट करने को कहा गया। हेलीकॉप्टर के रांसी हेलीपैड पहुंचने तक ग्रामीणों की ओर से घायल बालिका को छह किमी की पैदल दूरी तय करते हुए डंडी के सहारे पहुंचाया गया। जिसके बाद एयर एंबुलेंस के जरिये घायल बालिका को ऋषिकेश एम्स पहुंचाया गया। जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा ने मामले का तत्काल संज्ञान लेने पर डीएम सौरभ गहरवार का आभार जताया।
सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर के सीईओ डॉ प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित रांसी गांव से घायल बालिका को एयरलिफ्ट करके उसकी जान को बचाया गया है। बताया कि पहाड़ी से गिरने के कारण बालिका के सिर और हड्डियों में गंभीर चोटों से जूझ रही थी। उसकी हालत बहुत नाजुक थी और तुरंत इलाज की जरूरत थी। जिला प्रशासन और जिला आपदा प्रबंधन के सहयोग से इस चुनौतीपूर्ण अभियान को अंजाम दिया। खराब मौसम और मुश्किल रास्तों के बावजूद टीम ने बहादुरी और कुशलता से प्रीति को एम्स ऋषिकेश पहुंचाया, जहां उसका इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि यह बचाव अभियान सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर की दुर्गम क्षेत्रों में जान बचाने की प्रतिबद्धता और क्षमता को एक बार फिर साबित करता है।