*INDIA CRIME NEWS प्रदेश को प्रदूषण मुक्त करने का खमियाजा भुगत रहा ऊर्जा विभाग*
*ई-रिक्शा चालक घरेलू कनेक्शन से रिचार्ज कर विभाग को लगा रहे करोड़ों का चूना*
*उत्तराखण्ड में लाखों की संख्या में सड़कों पर दौड़ रहे ई रिक्शा*
घरेलू कनेक्शन से रिचार्ज नहीं कर सकते ई- रिक्शा चालक
देहरादून। दुनिया में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। देश के तमाम शहरों के साथ ही उत्तराखंड की राजधानी समेत अन्य शहरों में भी बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए उत्तराखंड सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर दे रही है। इसी क्रम में कमर्शियल वाहनों के रूप में ई- रिक्शे की संख्या तेजी से देहरादून में बढ़ती जा रही है। लेकिन ई-चार्जिंग स्टेशन ना होने के चलते ऊर्जा विभाग को नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्योंकि, घरेलू बिजली कनेक्शन से ही ई रिक्शा चालक कमर्शियल बिजली का लाभ ले रहे हैं और अपने घरों में ही ई- रिक्शा को चार्ज कर रहे हैं।
दरअसल, कमर्शियल और डोमेस्टिक इस्तेमाल के अनुसार बिजली की दरें अलग-अलग हैं। लेकिन तमाम ई-रिक्शा चालक घरेलू बिजली कनेक्शन पर ही अपने वाहनों को चार्ज कर रहे हैं। यानी उसका इस्तेमाल कमर्शियल रूप में किया जा रहा है। देहरादून आरटीओ से मिली जानकारी के अनुसार, 20 नवंबर 2024 तक देहरादून आरटीओ में कुल 10 हजार 690 इलेक्ट्रिक वाहन रजिस्टर्ड हैं। जिसमें इलेक्ट्रिक टू -व्हीलर वाहनों की संख्या 6985, इलेक्ट्रिक रिक्शा की संख्या 2912, प्राइवेट इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या 755 और इलेक्ट्रिक बसों की संख्या 38 है।
हालांकि, जिलाधिकारी की ओर से इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन लगाए जाने को लेकर टेंडर किया गया था। जिसके तहत दून शहर के 10 स्थानों पर इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वर्तमान समय में 4 स्थानों पर इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन बनकर तैयार हो गये हैं। जिसका अभी तक शुभारंभ नहीं किया गया है। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन का शुभारंभ कर इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जिससे न सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन चालकों को वाहनों को चार्ज करने में काफी सहूलियत होगी। बल्कि लोग इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के प्रति प्रोत्साहित होंगे। ई-रिक्शा चालकों ने बताया कि वह अपने वाहनों को अभी घर पर ही चार्ज कर रहे हैं क्योंकि उनको घर पर वाहनों को चार्ज करने पर काफी कम खर्च आ रहा है। चालकों के अनुसार, घर पर मात्र 50 से 60 रुपए में ही उनकी गाड़ी एक बार फुल चार्ज हो जाती है जो करीब 100 से 130 किलोमीटर तक चलती है। ई-रिक्शा को चार्ज करने में करीब 8 यूनिट का खर्च आता है। लेकिन अगर वह ई चार्जिंग स्टेशन से अपने वाहनों को चार्ज करेंगे तो उन्हें लगभग 150 से 200 रुपए देना होगा। यही वजह है कि वह घर पर ही अपने वाहनों को चार्ज करने की बात कह रहे हैं। इसके अलावा वाहन को चार्ज करने में करीब तीन से साढ़े तीन घंटे का समय भी लगता है। हालांकि, चालकों का मानना है कि इमरजेंसी के दौरान ई-चार्जिंग स्टेशन की सुविधा फायदेमंद साबित हो सकती है।
*दून शहर में जल्द सीएम धामी करेंगे 10 चार्जिंग स्टेशन प्वाइंट का शुभारंभ*
देहरादून। देहरादून के परेड ग्राउंड के पास लगे ई चार्जिंग स्टेशन के इंचार्ज सागर चोपड़ा ने बताया कि देहरादून शहर में 10 जगहों पर चार्जिंग स्टेशन प्वाइंट बनाए जा रहे हैं, जो पीपीपी मोड पर संचालित होंगे। फिलहाल चार जगहों पर चार्जिंग स्टेशन बनकर तैयार हो गये हैं। हालांकि, इन चार्जिंग स्टेशन का आज शनिवार 21 दिसंबर को ट्रायल गया है। साथ ही बताया कि वाहनों के चार्जिंग के लिए रेट 15 रुपए प्रति यूनिट प्लस 18 प्रतिशत जीएसटी रखा गया है। ये रेट सामान्य चार्जिंग प्वाइंट के लिए है। लेकिन फास्ट चार्जिंग के लिए लगभग दोगुना रेट होगा, जिसे जिलाधिकारी के स्तर से अभी तय किया जाना है। बता दें कि 22 दिसंबर को 4 चार्जिंग स्टेशन का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुभारंभ करेंगे।
*परिवहन विभाग बना रहा पॉलिसी, ऊर्जा विभाग चलाएगा चेकिंग अभियान*
देहरादून। ई-रिक्शा और अन्य वाहनों की वजह से ऊर्जा विभाग को लग रही चपत पर ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि घर घर जाकर इसकी चेकिंग नहीं की जा सकती है, क्योंकि ये संभव नहीं है। ऐसे में इस पर लगाम लगाने के लिए कोई टेक्निकल सॉल्यूशन ढूंढना पड़ेगा। ताकि इसको नामुमकिन किया जा सके। साथ ही ऊर्जा सचिव ने कहा कि इस विषय को लेकर विभागीय स्तर पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा, चार्जिंग का स्टेशन उपलब्ध नहीं है जिसके चलते भी लोग घरों में ही वाहनों को चार्ज कर रहे है। हालांकि, परिवहन विभाग की ओर से पॉलिसी बनाई जा रही है। ऐसे में इसकी दिक्कत दूर हो जाएगी।