सरस्वती पूजा महोत्सव: बिहारी महासभा ने मनाई बसंत पंचमी, भक्ति, विद्या और संस्कृति का संगम

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देहरादून: बसंत पंचमी के पावन अवसर पर राजपुर रोड स्थित शिव बाल योगी आश्रम में सरस्वती पूजा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूरे परिसर को भव्य रूप से सजाया गया, जहां श्रद्धालुओं ने भक्ति के साथ माँ सरस्वती की आराधना की।

पूजा और अनुष्ठान

कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की मूर्ति स्थापना एवं पूजन से हुई। इसके बाद विधिवत हवन, कीर्तन और भजन का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने भक्ति में डूबकर माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त किया। पूजा के उपरांत सभी श्रद्धालुओं और आगंतुकों के लिए महाप्रसाद (भंडारा) का आयोजन किया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति

शाम 4:00 बजे से बिहार महासभा (BMS) द्वारा विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा , जिसमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय कपूर और बिहार से आए अन्य कलाकारों ने लोक नृत्य, संगीत और भजन प्रस्तुत किए जाएंगे । कार्यक्रम स्थल पर बिहार और उत्तराखंड की लोकसंस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।

19 वर्षों की परंपरा

यह 19वां वर्ष था जब बिहार महासभा द्वारा इस पूजा का आयोजन किया गया। 2006 से श्री शिव बालयोगी महाराज के सानिध्य में यह आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हर वर्ष हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। यह आयोजन केवल पूजा तक सीमित नहीं रहता, बल्कि विद्या, कला और संस्कृति को भी बढ़ावा देता है।

विद्यारंभ संस्कार: शिक्षा की शुरुआत

बसंत पंचमी का यह दिन बच्चों के विद्यारंभ संस्कार के रूप में भी जाना जाता है। इस दौरान छोटे बच्चों को पहली बार लेखन और पढ़ाई की शुरुआत कराई जाती है, जिससे वे शिक्षा के महत्व को समझें और ज्ञान के मार्ग पर अग्रसर हों।

किसानों की आस्था और हल पूजन

इस दिन किसान अपने हल और कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं, जिससे वे माँ सरस्वती और भूमि माता से अच्छी फसल और समृद्धि की प्रार्थना कर सकें। यह पर्व केवल शिक्षा और विद्या का नहीं, बल्कि मेहनत और परिश्रम का भी प्रतीक है।

प्रमुख अतिथि और आयोजक

इस अवसर पर बिहारी महासभा, देहरादून के प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे:

समाज को जोड़ता यह महोत्सव

सरस्वती पूजा महोत्सव न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देता है। देहरादून में यह आयोजन बिहार और उत्तराखंड की संस्कृति के संगम के रूप में उभर रहा है, जो विद्या, कला और आस्था का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।

“सजा लो घर को गुलशन सा, मेरी मैया जी आई हैं…” इस मधुर भजन के साथ संपन्न हुआ यह उत्सव, श्रद्धालुओं के लिए भक्ति, आस्था और उल्लास का अद्भुत संगम बन गया।

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