Delhi CM Arvind केजरीवाल के इस्तीफे के बाद बदल जाएगा हरियाणा विधानसभा चुनाव, जानिए किस पार्टी का पलड़ा रहेगा भारी?

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 Delhi CM Arvind केजरीवाल के इस्तीफ के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव का पूरा समीकरण बदलने जा रहा है। आम आदमी पार्टी इस इस्तीफे को विक्टिम कार्ड की तरह प्रयोग करेगी। हरियाणा की सरजमीं से ही ताल्लुक रखने वाले अरविंद केजरीवाल हिसार सहित दिल्ली से सटे इलाकों पर सीधा असर डालते हुए नजर आएंगे। विधानसभा चुनाव में फरीदाबाद, गुरुग्राम, करनाल, सोनीपत और पानीपत में पड़ने वाली विधानसभाओं में असर डाल सकते हैं।

दूसरी बात यह कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उनकी जमानत मंजूर करते हुए उच्चतम न्यायालय ने तमाम पाबंदियां लगा दी थी। अरविंद केजरीवाल को तो जमानत अदालत ने दे दी थी लेकिन मुख्यमंत्री कैद में ही था। ऐसे में पद से इस्तीफा देकर उन्होंने कैदो को भी आजाद कर दिया है। अब वह पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में अपने आप को झोंक देंगे। पिछले चुनाव की तरह अगर वह दस सीटें भी जननायक जनता पार्टी की तरह से निकाल लेते हैं फिर हरियाणा का चुनावी मंजर कुछ और ही होगा।
हालांकि जिस ​तरह से अरविंद केजरीवाल को जमानत मिली है। राजनीतिक जानकारों का यह मानना है कि केजरीवाल जितना ही मजबूत होते जाएंगे वह कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाएंगे। भाजपा को उतना नुकसा नहीं होगा और नही जी जननायक जनता पार्टी को बहुत नुकसान होने जा रहा है क्यों कि इनके वोटर पूरी तरह से कोर वोटर में तब्दील हैं। आम आदमी पार्टी यहां पूरे प्रदेश की 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है?
हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के पास बड़े चेहरे हैं। आम आदमी पार्टी के पास दिल्ली और पंजाब की तुलना में हरियाणा में बड़ा चेहरा नहीं है। ऐसे में यहां अरविंद केजरीवाल हरियाणा में आम आदमी पार्टी के लिए वह चेहरा बन सकते हैं। इससे कार्यकर्ताओं को भी काफी बल मिलेगा। अब तक अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में सुनीता केजरीवाल पार्टी संभाल रही थी। सुनीता पार्टी की गारंटी जनता के बीच लेकर जा रही थी और वह भावुक हो जा रही थी। वह केजरीवाल को हरियाणा का लाल बताकर अपनी बात रख रही थी।
मुख्यमंत्री केजरीवाल को तिहाड़ जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद हरियाणा आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद से कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ गया है। केजरीवाल हरियाणा के चुनाव में पार्टी की कमान संभालेंगे।
सवाल यह है कि केजरीवाल के हरियाणा विधानसभा चुनाव में उतरने से क्या पार्टी को फायदा होगा। केजरीवाल आम आदमी की नब्ज अच्छे से समझते हैं। अपनी बातों के माध्यम से वह निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति के मन तक आसानी से पहुंच जाते हैं। उन्होंने यह काम दिल्ली और पंजाब में करके दिखाया है। दिल्ली में 2015, 2019 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने पूर्ण बहुमत पाकर सरकार बनाई। पंजाब में पार्टी को मजबूत किया। पंजाब में पूर्ण बहुमत वाली आम आदमी पार्टी की सरकार है। अब केजरीवाल की नजर हरियाणा पर है। हालांकि, हरियाणा में आम आदमी पार्टी का जनाधार  दिल्ली, पंजाब की तुलना में मजबूत नहीं है। पार्टी पिछले विधानसभा की तुलना में यहां मजबूत हुई है और समय-समय पर यहां पार्टी का विस्तार भी हुआ है।
केजरीवाल 9 साल से दिल्ली में सरकार चला रहे थे। हालांकि, 9 साल की सरकार के दौरान उनका टकराव लगातार उपराज्यपाल से होता रहा। हरियाणा विधानसभा चुनाव में केजरीवाल इसे मुद्दा बना सकते हैं। साथ ही केजरीवाल के आने से भाजपा-कांग्रेस को भी झटका लग सकता है। क्योंकि, वह अब दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर हरियाणा चुनाव में नहीं आ रहे हैं, बल्कि, सीएम की कुर्सी को छोड़कर जनता के बीच में आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि केजरीवाल का यह दाव हरियाणा चुनाव में असर डाल सकता है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता संदीप पाठक ने कहा कि हरियाणा में विधानसभा के प्रभारियों के साथ बैठक हुई और इसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। अगले 15 दिनों में कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर ज़बरदस्त मेहनत करेंगे। हमारे कार्यकर्ता गांव-गांव और घर-घर जाकर प्रदेश की जनता को बताएंगे कि इस बार अरविंद केजरीवाल को मौका देकर देखिए। अगर आपको लगता है कि वे काम करेंगे, तो इस बार आम आदमी पार्टी को वोट दीजिए। 5 अक्टूबर को हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। 8 अक्टूबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे। चुनाव परिणाम साबित करेंगे कि केजरीवाल का कितना जादू हरियाणा विधानसभा चुनाव में चला है।

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