*INDIA CRIME NEWS फायर सीजन की तैयारियों में जुटा वन विभाग,ड्रोन से होगी राजाजी टाइगर रिजर्व की निगरानी*
देहरादून। उत्तराखंड में हर साल बड़ी संख्या में जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं। जिसके चलते हजारों हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो जाते हैं। उत्तराखंड में 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो रहा है। जिसको देखते हुए वन विभाग पहले से ही वनाग्नि की घटनाओं को रोकने की तैयारियों में जुट गया है। इसी क्रम में राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन ने भी वनाग्नि से निपटने के लिए कमर कस ली है। साथ ही फायर सीजन में ड्रोन कैमरे से राजाजी टाइगर रिजर्व की निगरानी की जाएगी। जिसको लेकर कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है।
दरअसल, राजाजी टाइगर रिजर्व ने पिछले साल 2024 में ड्रोन के जरिए जंगलों के निगरानी की पहल शुरू की थी। जिसका बेहतर रिस्पॉन्स मिला था। ऐसे में इस साल 15 फरवरी से उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू हो रहा है। लिहाजा इसकी तैयारी वन विभाग ने शुरू कर दी है। इस फायर सीजन में राजाजी टाइगर रिजर्व की ड्रोन कैमरे से निगरानी की जाएगी, ताकि जंगल में आग की जानकारी तुरंत मिल सके। फायर सीजन शुरू होने से पहले ही ड्रोन के जरिए मॉनिटरिंग किए जाने को लेकर राजाजी में ट्रायल चल रहा है। साथ ही कर्मचारियों को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
राजाजी के उपनिदेशक महातिम यादव ने बताया कि 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू होने जा रहा है। जिसको देखते हुए राजाजी टाइगर रिजर्व में मौजूद ड्रोन टीम की ट्रेनिंग कराई गई है। हालांकि, ड्रोन का इस्तेमाल सिर्फ वनाग्नि के लिए नहीं किया जा रहा है, बल्कि वन्यजीव के मूवमेंट की निगरानी, वाइल्डलाइफ कनफ्लिक्ट की भी निगरानी की जारी है। साथ ही बताया कि राजाजी टाइगर में फॉरेस्ट फायर की मॉनिटरिंग जीआईएस आधारित है। जिसके चलते उत्तराखंड स्पेस सेंटर के जरिए 20 फील्ड स्टाफ को जीआईएस की ट्रेनिंग दी जा रही है। ताकि फॉरेस्ट फायर के दौरान यह टीम अच्छे से काम कर सके।
इसके अलावा फील्ड कर्मचारियों को वायरलेस की भी ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि फिल्म कर्मचारी तत्काल प्रभाव से वनाग्नि की घटना संबंधित सूचना दे सके। लिहाजा जो वायरलेस हैंडसेट खराब हैं, उनको ठीक करने के साथ ही कुछ नए वायरलेस हैंडसेट भी खरीदने पर विचार किया जा रहा है। बताया कि साल 2024 में ड्रोन के जरिए फायर मॉनिटरिंग का प्रयास किया गया। क्योंकि राजाजी टाइगर रिजर्व में आबादी नहीं है, लेकिन जब जंगल के पीछे साइड में या फिर किसी अन्य जगह पर जंगलों में आग लगती है तो उसकी सूचना तत्काल नहीं मिल पाती थी। क्योंकि सेटेलाइट की एक सीमा है जो दिन में दो बार ही फायर संबंधित अलर्ट देती है। लेकिन ड्रोन के जरिए कभी भी फायर की घटनाओं की मॉनिटरिंग की जा सकती है। साल 2024 में आबादी से लगाते हुए राजाजी टाइगर रिजर्व के जंगलों में मॉनिटरिंग की गई थी, जिसके अच्छे परिणाम भी मिले थे।